1 स्किन(Skin)
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Image Source & Credit: Wikipedia |
प्रस्तावना :
ब्यूटीसियन को हर दिन स्किन के साथ कम करना होता है ।
इसलिए उनको स्किन के बारे मे पूरी जानकारी होनी जरूरी है ।
स्किन मे नयी कोशिका (cells) का निर्माण हमेशा चालू रेहता है । जैसे जैसे नए सेल्स उत्पन्न होते है वैसे वैसे पुराने सेल्स स्किन की
ऊपर को और निकल जाते है । यह सेल का निर्माण उपर की स्किन का सबसे नीचे का लेयर मे सतत चालू रहेता है । स्किन हैयर , सेल्स, पसीने के ग्रंथिया ,
तैलीय ग्रंथिया , रक्त वाहिकाओं वगेरह की बनी हुई होती है।
स्किन के 3 लेयर्स है
- एपीड़ेर्मीस(Epidermis)
- डर्मिस(Dermis)
- हाइपोडर्मिस(Hypodermis)
स्किन के प्रकार (Types of the skin):
- नॉर्मल स्किन
- ओइली स्किन
- ड्राय स्किन
- कॉम्बिनेशन स्किन
- डिहाइड्रेड स्किन
- सेंसिटिव स्किन
- सेलो स्किन
- मेच्योर या एज्ड़ स्किन
2 स्किन का परीक्षण (Testing of the skin)
स्किन के प्रकार जानने के लिए निम्न लिखित 3 चिजों का उस्तेमाल किया जा सकता है ।1 टिस्यू पेपर :
स्किन का प्रकार कैसा है वो जानने के लिए सुबह उठने के बाद चेहरे को वॉश करने से पहले टिस्यू पेपर फ़ेस पर रख करथोड़ा दबाईए। अगर पेपर मे चिकनाई नहीं आती है तो आपकी स्किन ड्राइ है और अगर चिकनाई आती है तो आपकी स्किन ओइली है ।
अगर कुछ जगह पर चिकनाई आती है और कुछ जगह पर नहीं आती तो आपकी स्किन मिक्स्ड प्रकार की है ।
2 साबुन :
साबुन से फ़ेस वॉश करने के बाद 5 या 10 मिनिट मे ही अगर फ़ेस पर चिकनाई लगती है तो स्किन ओइली है ऐसा समजनासाबुन से फ़ेस वॉश करने के बाद अगर स्किन खींची सी महसूस लगती है तो ड्राइ स्किन है ऐसा समजना। नॉर्मल स्किन पर ऐसा कोई प्रभाव
देखने को नहीं मिलता ।
3 लिट्मस पेपर :
फ़ेस पर लिट्मस पेपर रखने से अगर लिट्मस पेपर का कलर ब्लू मे से रेड हो जाता है तो स्किन ड्राइ है और लिट्मस पेपरका कलर रेड मे से ब्लू हो जाता है तो ओइली स्किन है ऐसा समजना । नॉर्मल स्किन मे लिट्मस पेपर का कोई कलर बदलता नहीं ।
3 स्किन के कार्य (Function of the skin)
- स्किन शरदी , गर्मी , ठंड , सूक्ष्म जंतु या अन्य पर्यावर्णीय चीजों की आड़ असर से बॉडी का रक्षण करती है
- स्किन का बॉडी के तापमान का नियंत्रण करने मे अहम हिसा है और बॉडी के अंदर का तापमान एकसमान रखती है
- स्किन बॉडी के क्षार एवं अन्य अशुद्धियों को पसीने के माध्यम से बाहर निकालती है ।
- स्किन के सबसे ऊपरी लेयर के नीचे बहोत सारे ज्ञान तन्तु (Nerve Receptors) होते है जो हमे ठंड , गर्मी , दबाव या दर्द का एहसास करवाती है
- नॉर्मल स्किन मे एसिड ओर आल्कली दोनों होते है , जिसमे एसिड का प्रमाण थोड़ा ज्यादा होता है । जिससे सूक्ष्म परजीवी की हानिकारक असर से बचा जाता है ।
4 स्किन के प्रॉब्लेम्स ( Skin Problems)
ब्लॅक हेड्स (Black Heads) : स्किन के छिद्रों मे सिबम(पसीने मे निकलता हुआ एक चिकना द्रव्य) के जम जाने की वहज से ब्लॅक हेड्स की समस्या
उत्पन्न होती है । इस परिस्थितिकों मिटाई नहीं जा सकती क्योकि की ये स्किन के प्रकार पर आधारित है ।
व्हाइट हेड्स (White Heads): सिबम के स्त्राव के बाद जम हुए छिद्र खुले न होने के कारण व्हाइट हेड्स होते है । व्हाइट हेड्स को मिलिया भी कहते है।
मुँहासे (Acne/pimples) : ओइली स्किन के कारण यंग एज मे होता यह एक नॉर्मल प्रोब्लेम है।
ज़्यादातर सक्रिय तैली ग्रंथि के कारण ब्लॅक हेड्स होते है और जब उसमे इन्फ़ैकशन लगता है तब मुँहासे होते है।
एलर्जि(Allergy): एलर्जि का अभी तक कोई कारण नहीं मिला है । एलर्जि होने मे खुराक , स्पर्श , दवाई , धूल, धुआँ, केमिकल,
इन्फ़ैकशन इत्यादि का समावेश होता है।
फ्रेकल्स(Frackles): सूर्य के किरणों के कारण स्किन के ऊपर दिखे देते डार्क ब्राउन रंग के डोट्स को फ्रेक्ल्स कहा जाता है।
फैर स्किन मे फ्रेक्ल्स जल्द होने की संभावना है । धूप मे ज्यादा रहने से फ्रेक्ल्स बाद जाते है ।
पिगमेनटेशन(Pigmentation): स्किन मे होता हुआ मेलेनिन के बदलाव और स्किन के आंतरिक बदलाव पिगमेनटेशन होने का मुख्य
कारण है । पिगमेनटेशन मे स्किन पर गहरे या घेरे धब्बे देखने को मिलते है । पिगमेनटेशन होने के इसके अतिरिक्त कई कारण भी है ।
अंडरआई डार्कसर्कल (UnderEye DarkCiecles): यह प्रोब्लेम होने के बहुत सारे कारण है । जिन मे से कम नींद , आंखो को
ज्यादा तकलीफ , विटामिन की कमी , मानसिक तनाव , या अन्य बीमारी , वारसागत कारण इत्यादि मुख्य है ।
मसा(Moles): मसा छोटे एवं डार्क कलर के होते है । छोटे मसा सौन्दर्य को बढ़ाता है लेकिन बड़े मसा अच्छे नहीं लगते
कोठ(Leukoderma): कोठ स्किन मे मेलेनिन के कमी के कारण उत्पन्न हुआ रोग है। कोढ़ स्किन पर व्हाइट दाग के रूप मे
दिखाई देता है । और यह दाग धीरे धीरे बड़ा होता जाता है ।
हर्पिस(Herpis): हर्पिस वाइरस के संक्रामण के कारण हुआ चेपी रोग है । हर्पिस लिप्स के कोर्नर या नोज पर दिखने को मिलता है ।
वार्ट(Wart): एपिडर्मिस मे सेल्स के बढ़ते हुए तापमान के कारण या स्पसमेन वाइरस के कारण वार्ट जैसा होता है । वार्ट की सारवार
डॉक्टर के पास हो सकती है ।
हाइपर ट्राइकोसिस (Hyper Trycosis): (शरीर पर बड़े बाल ) : स्किन पर उगते बड़े थीक बालो को हाइपर ट्राइकोसिस
कहते है । वो होमोन्स और ग्रंथियों के असंतुलन के कारण होता है।
हाइपर ट्राइकोसिस जैसे रोगो का इलाज परमेनंट हैर रिमुविंग , लेजर सिस्टम से किया जाता है
कोढ़ जैसे प्रोब्लेम के लिए परमेनंट मेक अप , स्किन ड्राफ्टिंग इत्यादि ट्रीटमंट कोसमेटोलोजिस्ट के पास कारवाई जा सकती है
स्किन के बारे मे माहिती Information about the Skin in Hindi
Reviewed by Health 360
on
2:33 AM
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